अशुर बेट सर्गिस: एक सांस्कृतिक धरोहर भारत के उत्तर पूर्वी भाग में बसा असम, अपनी समृद्ध संस्कृति, अपने विविध त्यौहारों और अद्भुत परंपराओं के लिए जाना जाता है। इसी क्षेत्र में एक अनोखी परंपरा है जिसे "अशुर बेट सर्गिस" कहा जाता है। यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो मुख्य रूप से असम की आदिवासी जनजातियों द्वारा मनाया जाता है। इस लेख में हम अशुर बेट सर्गिस के महत्व, इसके आयोजन के तरीके और इससे संबंधित मान्यताओं पर चर्चा करेंगे। अशुर बेट सर्गिस का महत्व अशुर बेट सर्गिस एक ऐसा अनुष्ठान है जो मुख्यतः धान की फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है। यह आयोजन फ़सल की समृद्धि के लिए आभार व्यक्त करने का एक माध्यम है। असम के आदिवासी समुदाय में, कृषि जीवन का आधार है, और यह त्यौहार उनकी कृषि परंपराओं का प्रतीक है। इसे प्रकृति के प्रति अपने कृतज्ञता और सम्मान के रूप में देखा जाता है। आयोजन की तैयारी इस त्यौहार की तैयारी में कुछ हफ्ते पहले से ही काम शुरू हो जाता है। गांव के सभी लोग मिलकर फसल की कटाई करते हैं और इसे अच्छी तरह से संगठित करते हैं। इसके बाद, गांव के बुजुर्गों की सलाह पर आयोजन की तारीख निर्धारित की जाती है। इस दौरान, विशेष पूजा-अर्चना के लिए आवश्यक सामग्री एकत्रित की जाती है, जैसे कि पारंपरिक मिठाइयाँ, फूल, और अन्य सामग्रियाँ। त्यौहार का आयोजन एक बार जब सभी तैयारियाँ पूरी हो जाती हैं, तो समुदाय के लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं। यहाँ, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जैसे कि नृत्य, संगीत और खेलकूद। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। लोग अपने पारंपरिक परिधान पहनकर समारोह में भाग लेते हैं, जिससे संस्कृति के प्रति उनकी निष्ठा प्रदर्शित होती है। सामुदायिक एकता एवं सहयोग अशुर बेट सर्गिस न केवल एक धार्मिक उत्सव है बल्कि यह सामाजिक सहयोग का भी प्रतीक है। इस दिन, सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, मिठाईयों का आदान-प्रदान करते हैं और सामुदायिक भोजन के लिए इकट्ठा होते हैं। यह आयोजन विभिन्न पीढ़ियों के बीच संबंध बढ़ाने में भी मदद करता है, क्योंकि युवा और बुजुर्ग सभी एक दूसरे के साथ मिलकर आनंद लेते हैं। भविष्य में अशुर बेट सर्गिस आज के डिजिटल युग में, पारंपरिक त्यौहारों को बनाए रखना एक चुनौती हो सकती है। लेकिन यह आवश्यक है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जिंदा रखें। अशुर बेट सर्गिस जैसे आयोजन हमें अपने पूर्वजों की परंपराओं को समझने और उन पर गर्व करने का अवसर प्रदान करते हैं। आधुनिक पीढ़ी को इस त्योहार का महत्व समझाने और इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। निष्कर्ष अशुर बेट सर्गिस न केवल एक त्यौहार है, बल्कि यह असम की संस्कृति और धरोहर का एक अटूट हिस्सा है। यह हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए और अपने पूर्वजों की परंपराओं को संरक्षित करना चाहिए। इस प्रकार, यह आयोजन न केवल स्वीकृति और आभार का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और समुदाय की मजबूती का भी प्रतीक है।
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